क्या कहा ? शुगर यानि डायबीटीज हॆ. तो भई! रसगुल्ले तो आप खाने से रहे.मॆडम! आपकी तबियत भी कुछ ठीक नहीं लग रही. क्या कहा, ब्लड-प्रॆशर हॆ. तो आपकी दूध-मलाई भी गयी.सभी के सेवन हेतु, हम ले कर आये हॆं-हास्य-व्यंग्य की चाशनी में डूबे,हसगुल्ले.न कोई दुष्प्रभाव(अरे!वही अंग्रेजी वाला साईड-इफॆक्ट)ऒर न ही कोई परहेज.नित्य-प्रति प्रेम-भाव से सेवन करें,अवश्य लाभ होगा.इससे हुए स्वास्थ्य-लाभ से हमें भी अवगत करवायें.अच्छा-लवस्कार !
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25 दिसंबर 2007
हे गुमशुदा ’उडन-तश्तरी’ तुम कहां हो?
प्रिय मित्रो !
जब भी अपने ब्लाग पर कोई पोस्ट लिखता था,तो कम से कम एक टिप्पणी उस पर अवश्य मिलती थी.मन को थोडा संतोष भी मिलता था ऒर उत्साह भी बढता था.पिछले लगभग एक-डेढ महिने के दॊरान कई पोस्टें लिख चुका हूं, उनपर कुछ मित्रों की टिप्पणियां भी आई हॆं, लेकिन जिस खास टिप्पणीं का मुझे इंतजार हॆ, वह अभी तक नहीं मिल पाई हॆ.शायद आप समझ गय़ें हों,मेरा संकेत ’उडन-तश्तरी’ वाले भाई समीर लाल की ओर हॆ.’हिन्दी ब्लाग- जगत’ का शायद ही कोई साथी हो, जो उनके नाम ऒर काम से परिचित न हो.नये ब्लागरों का उत्साह बढाने में, अन्य मित्रों के साथ-साथ उनका विशेष योगदान हॆ.
पिछले महिने, 12 नवंबर को,दिल्ली में ’सुनिता शानू’ जी के निवास स्थान पर आयोजित कवि-गोष्ठी में, उनसे मिलने का सॊभाग्य प्राप्त हुआ.उनकी कवितायें सुनने के साथ-साथ ब्लागिंग के गुरू-मंत्र भी जानने का मॊका मिला.उस मुलाकात के बाद,नॆट सर्फिंग के दॊरान भी, अभी तक उडन-तश्तरी से मुलाकात नहीं हुई.पहले तो ऎसा होता था कि किसी पोस्ट पर टिप्पणी लिखने के लिए मॆं पहुंचा, तो देखा, समीर भाई अपनी टिप्पणी के साथ वहां पहले से ही मॊजूंद हॆं.ऎसे शख्स का, ब्लागिंग की दुनिया से इतने दिन तक दूर रहना, कुछ समझ नहीं आ रहा हॆ.उनके ब्लाग पर भी 8 नवंबर को लिखी गयी पोस्ट-’कुंठा से ग्रंथी तक’ ही अभी तक मॊजूद हॆ.शायद उन्होंने उसके बाद कोई पोस्ट नहीं लिखी हॆ. मॆनें सोचा था चलो ई-मेल से ही सम्पर्क कर लूंगा, लेकिन वह भी संभव नहीं हो सका. पता नहीं ,कहीं किसी टूर पर न हों? या यह भी हो सकता हॆ,उनका स्वास्थ्य ठीक न हो? शायद आप जॆसे किसी मित्र के पास, उनके संबंध में कोई समाचार हो?
जब भी अपने ब्लाग पर कोई पोस्ट लिखता था,तो कम से कम एक टिप्पणी उस पर अवश्य मिलती थी.मन को थोडा संतोष भी मिलता था ऒर उत्साह भी बढता था.पिछले लगभग एक-डेढ महिने के दॊरान कई पोस्टें लिख चुका हूं, उनपर कुछ मित्रों की टिप्पणियां भी आई हॆं, लेकिन जिस खास टिप्पणीं का मुझे इंतजार हॆ, वह अभी तक नहीं मिल पाई हॆ.शायद आप समझ गय़ें हों,मेरा संकेत ’उडन-तश्तरी’ वाले भाई समीर लाल की ओर हॆ.’हिन्दी ब्लाग- जगत’ का शायद ही कोई साथी हो, जो उनके नाम ऒर काम से परिचित न हो.नये ब्लागरों का उत्साह बढाने में, अन्य मित्रों के साथ-साथ उनका विशेष योगदान हॆ.
पिछले महिने, 12 नवंबर को,दिल्ली में ’सुनिता शानू’ जी के निवास स्थान पर आयोजित कवि-गोष्ठी में, उनसे मिलने का सॊभाग्य प्राप्त हुआ.उनकी कवितायें सुनने के साथ-साथ ब्लागिंग के गुरू-मंत्र भी जानने का मॊका मिला.उस मुलाकात के बाद,नॆट सर्फिंग के दॊरान भी, अभी तक उडन-तश्तरी से मुलाकात नहीं हुई.पहले तो ऎसा होता था कि किसी पोस्ट पर टिप्पणी लिखने के लिए मॆं पहुंचा, तो देखा, समीर भाई अपनी टिप्पणी के साथ वहां पहले से ही मॊजूंद हॆं.ऎसे शख्स का, ब्लागिंग की दुनिया से इतने दिन तक दूर रहना, कुछ समझ नहीं आ रहा हॆ.उनके ब्लाग पर भी 8 नवंबर को लिखी गयी पोस्ट-’कुंठा से ग्रंथी तक’ ही अभी तक मॊजूद हॆ.शायद उन्होंने उसके बाद कोई पोस्ट नहीं लिखी हॆ. मॆनें सोचा था चलो ई-मेल से ही सम्पर्क कर लूंगा, लेकिन वह भी संभव नहीं हो सका. पता नहीं ,कहीं किसी टूर पर न हों? या यह भी हो सकता हॆ,उनका स्वास्थ्य ठीक न हो? शायद आप जॆसे किसी मित्र के पास, उनके संबंध में कोई समाचार हो?
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