क्या कहा ? शुगर यानि डायबीटीज हॆ. तो भई! रसगुल्ले तो आप खाने से रहे.मॆडम! आपकी तबियत भी कुछ ठीक नहीं लग रही. क्या कहा, ब्लड-प्रॆशर हॆ. तो आपकी दूध-मलाई भी गयी.सभी के सेवन हेतु, हम ले कर आये हॆं-हास्य-व्यंग्य की चाशनी में डूबे,हसगुल्ले.न कोई दुष्प्रभाव(अरे!वही अंग्रेजी वाला साईड-इफॆक्ट)ऒर न ही कोई परहेज.नित्य-प्रति प्रेम-भाव से सेवन करें,अवश्य लाभ होगा.इससे हुए स्वास्थ्य-लाभ से हमें भी अवगत करवायें.अच्छा-लवस्कार !

06 दिसंबर 2007

कल से ही छोड दूंगा.

हमारे पडॊसी हॆं-रामूभाई.हनुमान जी के पक्के भक्त.मंगलवार को छोडकर,बाकी सभी दिन पीते हॆ.अंग्रेजी मिले या देशी कोई भेद नहीं रखते.जिस तरह से मंगलवार को हनुमान जी का प्रसाद ग्रहण करते हॆ,ठीक उसी भावना से नित्य-नियम से उसे भी भॆरों बाबा का प्रसाद समझकर ग्रहण करते हॆ.रविवार के दिन ,मुझे किसी काम से उनके घर जाने का सॊभाग्य प्राप्त हुआ.रामूभाई धूप में बेठे अखबार पढ रहे थे.मॆं भी उन्हीं के पास बॆठ गया.दुआ-सलाम के बाद उन्होंने अखबार का एक पेज मुझे भी पकडा दिया.हम दोनों अखबार भी पढ रहे थे ऒर बीच-बीच मं बात-चीत भी कर रहे थे.बात-जीत के दॊरान ही मॆं समझ गया बाबू भाई भॆरो बाबा का प्रसाद सुबह-सुबह ही ले चुके हॆ.अचानक!अखबार पढते-पढते न जाने बाबू भाई को क्या सूझा-मुझसे बोले-"पक्का!कल से ही छोड दूंगा,सब बेकार हॆ."
मॆं मन ही मन खुश हुआ.चलो!अच्छा हॆ बुरी आदत जितनी जल्दी छूट जाये,उतना ही बढिया.
मॆंनें बाबू भाई को समझाना शुरू किया-"देखो,भाई कुछ नहीं रखा शराबखोरी में,पॆसे का नाश,शरीर का नाश,बच्चों पर बुरा प्रभाव पडता हॆ...."
बाबू भाई मेरी बात बीच में ही काटते हुए बोले-"आपको कोई गलतफहमी हुई हॆ,मॆंने कब कहा,मॆं शराब पीनी छोड रहा हूं."
"अरे भाई, अभी तो कह रहे थे-पक्का कल से ही छोड दूंगा,सब बेकार हॆ." मॆंने सफाई दी.
बाबू भाई खिलखिलाकर हंस पडे.मेरी ओर अखबार का पेज बढाते हुए बोले-’भाई मॆं ये अखबार पढना कल से छोड दूंग-मॆं तो यह कह रहा था,देखो न क्या लिखा हॆ ?’
मॆंने अखबार का वह पेज देखा तो उसपर लिखा था-’शराब जहर हॆ,इसके पीने से शरीर ऒर आत्मा दोनों का नाश होता हॆ’
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3 टिप्‍पणियां:

राजीव तनेजा ने कहा…

बहुत खूब...मज़ा आ गया जी फुल्ल-फुल्ल...

वैसे मैँने कभी चखी ही नहीं तो कैसे छोडूँ?"

यूँ ही चेहरों पे मुस्कान लाते रहें....

बालकिशन ने कहा…

हा! हा! हा! जबरदस्त. बहुत खूब.

anuradha srivastav ने कहा…

बलिहारी है आपकी अक्ल की........ किसी को छोडते देखा है ? रोज़ नये कारण होते है। और पीने वाला हमेशा सही। जानते है ना।